Last modified on 28 अक्टूबर 2012, at 01:28

उसके बाद ब्रह्मावर्त जनपद के ऊपर / कालिदास

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: कालिदास  » संग्रह: मेघदूत
»  उसके बाद ब्रह्मावर्त जनपद के ऊपर

ब्रह्मावर्तं जनपदमथच्‍छायया गाहमान:
     क्षेत्रं क्षत्रप्रधनपिशुन कौरवं तद्भजेथा:।
राजन्‍यानां शितशरशतैर्यत्र गाण्‍डीवधन्‍वा
     धारापातैस्‍त्‍वमिव कमलान्‍यभ्‍यवर्षन्‍मुखानि।।

उसके बाद ब्रह्मावर्त जनपद के ऊपर अपनी
परछाईं डालते हुए क्षत्रियों के विनाश की
सूचक कुरुक्षेत्र की उस भूमि में जाना जहाँ
गांडीवधारी अर्जुन ने अपने चोखे बाणों की
वर्षा से राजाओं के मुखों पर ऐसी झड़ी
लगा दी थी जैसी तुम मूसलाधार मेह
बरसाकर कमलों के ऊपर करते हो।