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उसको क्या मालूम वह ख़ुशियाँ लाती है / नवीन जोशी

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उसको क्या मालूम वह ख़ुशियाँ लाती है,
चिड़िया तो बस दाना चुगने आती है।

इक बेटी के बाप से ये पूछो जाकर,
इक बगिया कितने जीवन महकाती है।

फूँक तो एक ही होती है अंजाम जुदा,
चूल्हा जल जाता है लौ बुझ जाती है।

भोलापन है तो थोड़ा धीरज रक्खो,
ये बीमारी जाते-जाते जाती है।

छोटी हो तो कम भी पड़ जाती है डोर,
लंबी हो तो फिर ये उलझ भी जाती है।

घर में है सारा सामान उजालों का,
प्यार का घी है, मैं हूँ दिया, तू बाती है।