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उसने जब जब भी मुझे दिल से पुकारा मोहसिन / मोहसिन नक़वी

उसने जब जब भी मुझे दिल से पुकारा मोहसिन
मैंने तब तब यह बताया के तुम्हारा मोहसिन

लोग सदियों की खताओं पे भी खुश बसते हैं
हमको लम्हों की वफाओं ने उजाड़ा मोहसिन

जब आगया हो ये यकीन अब वोह नहीं आयेगा
गम और आंसू ने दिया दिल को सहारा मोहसिन

वोह था जब पास तो जीने को भी दिल करता था
अब तो पल भर भी नहीं होता गुज़ारा मोहसिन

उसको पाना तो मुक़द्दर की लकीरों में नहीं
उसका खोना भी करें कैसा गवारा मोहसिन