Last modified on 18 मार्च 2019, at 10:23

उसने तो पुकारा है मगर होश किसे है / रंजना वर्मा


उसने तो पुकारा है मगर होश किसे है
यादों में मुब्तिला है जिगर होश किसे है

इक बार पलट जाये तो बन जाये जिंदगी
आवाज़ उसे देने का पर होश किये है

साँसें हैं बदस्तूर और जिस्म भी जिंदा
दिल को सँभालने का मगर होश किसे है

है नाख़ुदा का फ़र्ज़ कि साहिल तलाश कर
कश्ती लगाये पर मगर होश किसे है

मंजिल है दूर पाँव में काँटे भी हैं चुभे
इन को निकालने का मगर होश किसे है