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उसी की बातों से क्यूँ कीन-ओ-कद किया मैं ने / तसनीफ़ हैदर
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उसी की बातों से क्यूँ कीन-ओ-कद किया मैं ने
वो शख़्स जिस को हमेशा सनद किया मैं ने
मिरा अज़ल ही नहीं था कभी तो मत पूछो
कि कैसे अपने अज़ल को अबद किया मैं ने
वो मुझ पे मज़हबी अहकाम जैसा हावी था
सो उस की ज़ात को मुश्किल से रद किया मैं ने
बस इक सदा-ए-अनल-वक़्त मुझ में ज़िंदा रही
जो ख़ुद को ख़ुद से कभी ना-बलद किया मैं ने
मैं तेरे जिस्म से बाहर कभी गया ही नहीं
बदन-लकीर को आँखों की हद किया मैं ने