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उसे जब जान जाओगे तो हैरानी बहुत होगी / ओम प्रकाश नदीम

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उसे जब जान जाओगे तो हैरानी बहुत होगी
तुम्हें अपनी अक़ीदत पर पशेमानी बहुत होगी

बिना सोचे बिना समझे हमेशा मून्द कर आँखें
करोगे हाँ में हाँ गर तुम तो मनमानी बहुत होगी

ख़फ़ा होता हूँ पहले बाद में फिर सोचता हूँ मैं
उसे दुख होगा तो मुझको परेशानी बहुत होगी

जो राधा की तरह होती तो शायद पूजती दुनिया
वो मीरा सी पुजारिन होगी दीवानी बहुत होगी

मैं अपनी ख़्वाहिशों का बोझ अकेला ही उठाऊँगा
तुम्हारा हाथ लग जाने से आसानी बहुत होगी

ये मज़हब की सियासत है ये नफ़रत की हुकूमत है
यहाँ तुमने मुहब्बत की तो निगरानी बहुत होगी

हमारे बीच की सारी हदें जब टूट जाएँगी
शराफ़त कुछ न कर पाएगी शैतानी बहुत होगी