उसे न मिलने की सोचा है यूँ सज़ा देंगे
हर एक जिस्म पे चेहरा वही लगा देंगे
हमारे शहर में शक्लें हैं बे-शुमार मगर
तिरे ही नाम से हर एक को सदा देंगे
हम आफ़्ताब को ठंडा न कर सके ऐ ज़मीं
अब अपने साए की चादर तुझे ओढ़ा देंगे
भुलाए बैठे हैं जिस को हम एक मुद्दत से
गर उस ने पुछ लिया तो जवाब क्या देंगे
बदन समेत अगर वो कभी जो आ जाए
बदन को उस के बदन अपना बा-ख़ुदा देंगे