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उसे बताना चाहता था मैं / कमलेश्वर साहू


श्यामवर्णी देह से ज्यादा
अनार के दानों के समान
बिखरने वाली
उसकी हंसी की
गिरफ्त में था मैं
बिखरा हुआ था
उसके चेहरे के नमक की मिठास के आसपास
वह किसी जिद्द के पीछे भाग रही थी अविराम
दौड़ रही थी किसी स्वप्न के पीछे बेसुध
इस भागने-दौड़ने में
कुछ छूट रहा है तुमसे
उसे बताना चाहता था मैं
उसे बताना चाहता था
मगर मैं जहां खड़ा था
वहां से बहुत आगे निकल चुकी थी वह
अपनी जिद्द और स्वप्न के पीछे
भागती
दौड़ती
उसे बताना चाहता था मैं
प्रेम छूटा जा रहा है तुमसे !