भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उसे मेरा ख़याल आता तो होगा / कांतिमोहन 'सोज़'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उसे मेरा ख़याल आता तो होगा ।
मोहब्बत करके पछताता तो होगा ।।

सारे-शहराह<ref>मुख्य मार्गों पर</ref> लुटकर और पिटकर
वो आख़िर अपने घर जाता तो होगा ।

सरे-मक़तल मोहब्बत की अक़ीदत<ref>महत्ता</ref>
किसी क़ातिल को समझाता तो होगा ।
 
कभी पूरी तरह मेले में घिरकर
अकेलेपन से घबराता तो होगा ।

कभी मेरी तरह रोता न हो पर
कभी आंसू में मुस्काता तो होगा ।

किसी आशिक़ से दिल पर चोट खाकर
उसे आईना दिखलाता तो होगा ।
  
उसे भी सोज़ की रूदाद<ref>कहानी</ref> सुनकर
घड़ी भर को यक़ीं आता तो होगा ।।


5 मई 2022

शब्दार्थ
<references/>