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उस अलका में कुबेर के भवन से उत्तर / कालिदास

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तत्रागारं धनपतिगृहानुत्‍तरेणास्‍मदीयं
     दूराल्‍लक्ष्‍यं सुरपतिधनुश्‍चारुणा तोरणेन।
यस्‍योपान्ते कृतकतनय: कान्‍तया वर्धितो मे
     हस्‍तप्राप्‍यस्‍तबकनमितो बालमन्‍दारवृक्ष:।।

उस अलका में कुबेर के भवन से उत्‍तर की
ओर मेरा घर है, जो सुन्‍दर इन्‍द्रधनुष के
समान तोरण से दूर से पहचाना जाता है।
उस घर के एक ओर मन्‍दार का बाल वृक्ष
है जिसे मेरी पत्‍नी ने पुत्र की तरह पोसा है
और जो हाथ बढ़ाकर चुन लेने योग्‍य फूलों
के गुच्‍छों से झुका हुआ है।