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उस तारे-सी / सविता सिंह
Kavita Kosh से
लाना मेरे लिए ख़ुद को
जैसे चिड़िया लाती है तिनका संभाल कर
एक तारा लाना
अनजाने हर रात जो तुम्हारे बिस्तर में आता है
तुम्हारी नींद में शामिल होने
तुम्हारे जागते ही मगर
गायब हो जाता है जो
कि खलल न पड़े
तुम्हारे दूसरे प्रेम में
यह दुनिया भरी पड़ी है कितने ही सौन्दर्य से
उतनी ही कुरूपताओं से
सोचती हूँ कौन-सी सुंदर चीज़ें हैं
तुम्हारी पसंद की
चाहती हूँ उनमें ही रहना
उस तारे-सी
जो अपनी अनुपस्थिति में
शामिल रहता है तुम्हारी चर्या में सदा