Last modified on 7 जून 2025, at 22:00

उस धुंधले कमरे में / ओसिप मंदेलश्ताम

उस
धुंधले कमरे से
अचानक
हलकी शाल ओढे़
बाहर आईं तुम

किसी को
तकलीफ़
नहीं दी
हमने
सोते हुए
नौकरों को
नहीं जगाया

(रचनाकाल : 1908)

मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
             Осип Мандельштам
        Из полутемной залы, вдруг…

Из полутемной залы, вдруг,
Ты выскользнула в легкой шали –
Мы никому не помешали,
Мы не будили спящих слуг…

1908 г.