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उस ने ग़र कुछ कहा नहीं होता / रंजना वर्मा

उस ने ग़र कुछ कहा नहीं होता
तो किसी का भला नहीं होता

हम पहाड़ों को तोड़ सकते हैं
चाह लेने से क्या नहीं होता

साथ देता अगर मुकद्दर तो
वो भी मुझ से जुदा नहीं होता

किसी भी काम को छोटा न कहो
काम कोई बुरा नहीं होता

वो ह् कहते जो बेवफ़ा खुद को
उन से कोई गिला नहीं होता

तू हमे बेवफ़ा भले समझे
हर कोई बेवफ़ा नहीं होता

क्यों थी पतवार थमाई उस को
नाखुदा तो ख़ुदा नहीं होता