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उस पार की जमीन / सत्यनारायण सोनी
Kavita Kosh से
बच्चे के पास
नहीं है कोई जेट विमान
कोई रॉकेट
या हवाई सर्वेक्षण करता
कोई हैलिकॉप्टर ।
उसके पास है
प्यार की डोरी में बँधी एक पतंग
उड़ते-उड़ते पहुँच गई जो
सरहद पार के आसमान में
बाँट रही एक अदद मुस्कान ।
कोई शक की नज़रों
नहीं देखेगा उसे सरहद पार ।
न ही दागी जाएगी कोई मिसाइल उसे गिराने को ।
कोई बच्चे जैसा बच्चा सरहद पार का
निहारेगा उसे
तालियाँ बजाएगा, खिलखिलाएगा ।
कटकर जाएगी जब तो वह उमंगों भर जाएगा,
लूटने को दोनों हाथ फैलाएगा ।
और इस प्रकार भर जाएगी मुस्कान से
सरसब्ज़ हो जाएगी प्यार से
उस पार की ज़मीन ।