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उस रात / गुलज़ार हुसैन
Kavita Kosh से
वह उस रात को जिन्दा था
जिस रात मोहल्ले के घरों को जलाया जा रहा था
लोगों को घरों से खींच कर
उनके पेट में चाकू घुसेड़ा जा रहा था
नाबालिग लड़कियों से
बलात्कार किया जा रहा था
और पुस्तक पढ़ते हुए छात्रों को
गन से निशाना बनाया जा रहा था
वह उस रात मुंह बंद किए, भागते- छुपते हुए
जिन्दा बचा रह गया था
इसलिए दिन निकलते ही वह मर गया