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उस स्त्री के भीतर की स्त्री के बारे में / विवेक निराला

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उस स्त्री के भीतर
एक घना जंगल था
जिसे काटा - उजाड़ा जाना तय था
उस स्त्री के भीतर
एक समूचा पर्वत था
जिसे समतल
कर दिया जाना था
उस स्त्री के भीतर
एक नदी थी
बाढ़ की अनन्त
संभावनाओं वाली
जिसे बांध दिया जाना था
उस स्त्री के भीतर
एक दूसरी देह थी
जिसे यातना देते हुए
क्षत -विक्षत किया जाना था
किन्तु उस स्त्री के भीतर
एक और स्त्री थी
जिसका कोई कुछ
नहीं बिगाड़ सकता था