भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ऊँख में मधुराई जइसे सेंधे में है नमकापन / महेन्द्र मिश्र
Kavita Kosh से
ऊँख में मधुराई जइसे सेंधे में है नमकापन,
तील में है तेल वो शीतलता ओले में।
नीम में कडुआपन अइसे मिर्ची में तीछनता,
दूध में है घृत और सुगंध है बेले में।
आम में खटाई जैसे अग्नि में है उष्मता,
जल में खारापन और रूइ है बिनोले में।
काठ में अगिनी जैसे बीजन में वृक्ष छिपा,
वैसे ही महेन्द्र राम प्राणियन के चोले में।