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ऊँचाई / पंकज सुबीर
Kavita Kosh से
दूर से ही नज़र आ रहे हैं दोनों
लगभग समानांतर हैं
मगर
बढ़ते ही जा रहे हैं
दोनों
आकाश की ओर
लगी है होड़ दोनों में
ऊँचा उठने की
एक दूसरे से
ऊँचे, ऊँचे और ऊँचे
उठते जा रहे हैं दोनों
मंदिर का शिखर
और
मीनार
मस्जिद की
भुला चुके हैं दोनों
असली परिभाषा
ऊँचा उठने की।