भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ऊँची ए मड़वा छरइह दुलरइते बाबा / मगही

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

ऊँची ए मड़वा छरइह<ref>छवाना, अच्छादन कराना</ref> दुलरइते<ref>प्यारे</ref> बाबा।
ऊँची होतो<ref>होगा। ‘नाम ऊँचा होना’, मुहावरा है, अर्थात् यश विस्तार</ref> नाम तोहार हे॥1॥
झारी<ref>झाड़कर</ref> गलइचा<ref>गलीचा, कालीन</ref> बिछइह<ref>बिछाना</ref> दुलरइते भइया।
ऊँची होतो नाम तोहार हे॥2॥
धरती में नजर खिरइह<ref>गड़ाना। ‘खिरइह’ का भोजपुरी रूप ‘खिलइह’ होता है। धरती में नजर खिलाना का अर्थ होता है, धरती के भीतर तक दृष्टि प्रवेश करा देना</ref> दुलरइते बर।
देखतो नगरी के लोग हे॥3॥

शब्दार्थ
<references/>