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ऊँची रे अटरिया पर विषहरि माय / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

ऊँची रे अटरिया पर विषहरि माय
राम, नीची रे अटरिया पर सोनरा के भाय
देबौ रे सोनरा भाइ डाला भरि सोन
राम, गढ़ि दिअनु विषहरिके कलस पचास
बाट रे बटोहिया कि तोहें मोर भाइ
राम, कहबनि विषहरिके कलसा लय जाइ
तोहरो विषहरि के चिन्हियो के जानि
राम, कहबनि कोनाकऽ कलस लए जाय
हमरो विषहरि के नामी-नामी केश
राम, मुठी एक डाँर छनि अल्प बएस
सरोवर-दह विषहरि लेल प्रवेश
राम, दह पइसि पाँचो बहिनि खेलू झिलहेरि
पुरइनि पात विषहरि करू डगमग पानि
राम, ताहि चढ़ि पाँचो बहीनि देखू संसार
नाह दए नवेरिया भइया दए करूआरि
राम, विषहरि जेती मृत्युभुवन सेवक ओहि ठाम
ककर घर विषहरि दूध-लाबा लेल
राम, ककर घर विषहरि खीर-मखान
सबहक घर विषहरि दूध-लाबा लेल
राम, सेवक घर विषहरि खीर-मखान