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ऊँचों खैरो डगमगो गुन गाइये / बुन्देली
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
ऊँचों खैरो डगमगो गुन गाइये
औ जा पै बैठे गनेस, गनेस मनाइये।
टूटे जुरे सनेह गनेस मनाइये।
इ कलजुग में दो बाड़े
इक धरनी दूजौ मेघ।
मेघा बरसे धरनी उपजे
जासें घर पूरन हो जाये। गुन गाइये...
इ कलजुग में दो बाड़े
इक घोड़ी दूजी गाय
गाय कौ बछड़ा हल जाते घोड़ी कौ रन फाराये।
गणेस मनाइये...
इ कलजुग में दो बाड़े
इक माई दूजी सास।
माई की कुखियन जनम लिये औ सासो दिये घर बार।
इ कलजुग में दो बाड़े
इक साईं दूजे वीर।
बीरन की पैरें चोखी चूनरी साईं को विलसें राज।
इ कलजुग में दो बाड़े
इक चूलौ दूजी खाट
खाट चढ़ बेटा जाइयौ चूले पै चरूआ धराऔ।
गाँवन गाँवन वे बसें औ घर घर दीपक लजायें।
ऊँचो खैरो...