शब्दों के घर में सांकल नहीं थे
हर शब्द के अपने गीत थे
शब्द दूर-दूर तक जाते थे चलकर
इधर कुछ शब्द कुन्द हुए हैं
उनकी कमर में रस्से लगे हैं
कवि जो होते थे सगे शब्दों के
वे स्वयं ऊँघ रहे हैं।
शब्दों के घर में सांकल नहीं थे
हर शब्द के अपने गीत थे
शब्द दूर-दूर तक जाते थे चलकर
इधर कुछ शब्द कुन्द हुए हैं
उनकी कमर में रस्से लगे हैं
कवि जो होते थे सगे शब्दों के
वे स्वयं ऊँघ रहे हैं।