भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ऊंची हे दोघड़, नीचा ए बारणा / हरियाणवी
Kavita Kosh से
हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
ऊंची हे दोघड़, नीचा ए बारणा
मैं समझाऊं समझ म्हारी लाडा
सोहरे के घर जाना हे होगा
जोहड़ बिराणा कुआं बिराणा
नीची तरफ लखाणा हे होगा
बड़ा हे कुणबा बड़ा परवार
भीत्तर बड़ के जीमणा होगा
सासू-ससूरे की टहल बजाणा
पति अपणे का हुकम बजाणा
