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ऊंडी भखारियां / अर्जुनदेव चारण

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ईसर नै
कुण देखियौ
कदेई रोवतां
स्यात् इणी सारूं
थूं
कदेई नीं भरियौ डुसकौ

कांई ऊंडी भखारियां
म्हे
इणी सारूं बणावां मां ?