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ऊपरां बादलिड़ा ऊपरां क्यूं जा / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
ऊपरां बादलिड़ा ऊपरां क्यूं जा
बरसै तै क्यूं ना हे म्हारे देस
छन में पालिड़ा धूलम धूल
छन में तो भर दे जोहड़ डाबड़ा
सूता रे पालिड़ा रूखा की छां
खेत उजाड़ा मेरे बाप का
ह्यो रे पालिड़ा तेरेड़ी रांड
खेत उजाड़ा मेरे बाप का
मत दे हे सुन्दर मन्नै तैं गाल
तेरे सरीकी म्हारै बी गोरड़ी
आइये हे सुन्दर म्हारेड़े देस
लहए रंगा हे ऊपर चुन्दड़ी