भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ऊपर की तरफ़ श्वेतकेशी आकाश है मेरे / इवान बूनिन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: इवान बूनिन  » संग्रह: चमकदार आसमानी आभा
»  ऊपर की तरफ़ श्वेतकेशी आकाश है मेरे

ऊपर की तरफ़ श्वेतकेशी आकाश है मेरे
और सामने वन
उघड़ा पड़ा है नग्न
नीचे की तरफ़ जंगली पगडंडी को घेरे
काली कीच
पत्तियों को
कर रही है भग्न

ऊपर हो रहा है ठंड का सर्द शोर
नीचे बिछी है चुप्पी
जीवन के मुरझाने से
पूरे यौवन भर यूँ तो मैं
भटकता रहा घनघोर
बस, ख़ुशी मिली तब मुझे,
किसी विचार के आने से

(1889)
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय