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ऊमर / सांवर दइया
Kavita Kosh से
ऊगतै सूरज री
सोनलिया किरणां
पत्तै माथै
ठैरियोड़ो
पाणी रो टोपो
आंख्यां आगै उघड़ै
सांसां री ऊमर
पत्तै माथै ठैरियोड़ो
पाणी रो टोपो
चमकै !
तपै सूरज
बधै तावड़ो
पून रा थपेड़ा
हिलै पत्तो
अर
पाणी रो टोपो…?
………… !!