भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ऊर्ध्वमूल / ध्रुव शुक्ल
Kavita Kosh से
वृक्ष पर लिखे हैं कितने शब्द
जड़
तना
डाली पत्ते
फूल फल
नदी पर लिखा है जल
वायु पर बहता है प्राण
हवन-कुण्ड में आहूत अनन्तदेव
आकाश से झर कर पृथ्वी पर बिखरते हैं
देह पर लिख जाता है नाम
गेह पर धाम
समाधि पर हे राम