ऎसा क्यों होता है-
कि होने के शोर में
कुछ भी नहीं हो पाता
और
फिर भी कवि को यह भ्रम
होता रहता है
कि वह
कविता लिख रहा है
और इसलिए
वह
कवि बना हुआ है
ऎसा क्यों होता है-
कि होने के शोर में
कुछ भी नहीं हो पाता
और
फिर भी कवि को यह भ्रम
होता रहता है
कि वह
कविता लिख रहा है
और इसलिए
वह
कवि बना हुआ है