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ऎसी ही एक दुनिया / निर्मल आनन्द
Kavita Kosh से
कोसों दूर से चलकर आए पिता
पावस के इन दिनों में भीगते हुए
बहुत इंतज़ार के बाद
जैसे आया हो वसंत
उदास पतझड़ में
सुनाते रहे पिता गाँव का हालचाल
फ़सलों की हालत
और सुख-दुख की ख़बरें
पिता जिन्होंने मुझे दी एक दुनिया
ऎसी ही एक दुनिया
अपने बच्चे को देते समय
मैं भूलूंगा नहीं
पिता की दुनिया का नक्शा ।