एकटा प्रश्न / दीपा मिश्रा
अहाँ राति देलौं
ओ काजर बना आँखिमे लेप लेलैन
अहाँ रौद देलियैन
ओ माथ पर टुकली बना साटि
लेलैन
अहाँ काँट भोंकलियैन
ओ केशक खोपा बना ओकरा ओहिमे खोंसि
देलैन
अहाँ बात बात पर उकटैत रहलियैन
ओ शब्द बना ओहिमे भाव भरैत रहली
अहाँ अपशब्द बाजल
ओ माथसँ लगा देहमे ओकरा टांगि लेलैन
अहाँ हुनकर रस्ता रोकलियैन
ओ मोनक नदी बना अपन दिशामे बहय लगलीह
देखू! सामाक चिड़इ आब पांखि फरफरायब सीख लेलक
ओ माटिक मुरुत मात्र नहि रहल
बाटो बहिनो आब बाट जोहैत नहि बैसती
देहके अहाँक देहरी पर राखि आब ओ निचेनसँ अपन बनाओल अकासमे उड़ब सीख रहल छथि
किएक अहाँ ई देखि अपस्याँत होइत छी
कतेक जुगसँ सुतल ओ आब जागल अछि
देखू ने ओकर चारूकात इजोत पसरैत जा रहल
नीचां उतरू बेर बेर कहलासँ नीक की ई नै
जे अहूँ संग उड़ान भरी ?