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एकता आ षड्यन्त्र / देवशंकर नवीन
Kavita Kosh से
बूढ़-पुरान कहलिन-
एकतामे बड्ड बल छैक
दस हाथ एक ठाम जमा होअए
तँ पैघ-सँ-पैघ काज
सुगमतासँ सफल भ’ जाइत अछि
आ, हम मानि लेलौं....
फेर देखल
जे अस्सी करोड़ जोड़ा हाथ काटि कए
जेबीमे राखल जा रहल अछि
षड्यंत्रक बल पर
आ, अइ हाथ पर आधिपत्य जमा कए
सशक्त भ’ जाइत अछि
पाँच सौ पच्चीस भेड़िया
आब हम गुनिधुनिमे छी
जे षड्यन्त्रसँ जमा होइत अछि हाथ
अर्थात् एकताक स्वांग
एकतामे होइत अछि बल
फेर एकता पैध आ कि षड्यन्त्र...?