एकरा से जादे हद की होतइ / सिलसिला / रणजीत दुधु
जे बेटा के पोसे पाले हे
अब उहे जब घर से निकाले हे
तब ऐसन पाप के के धोतइ
एकरा से जादे हद की होतइ।
सिपाहिये घर घुस करतइ चोरी
थाना परभारी सीनाजोरी
फरियादी तभिये धीरज खोतइ
एकरा से जादे हद की होतइ।
मास्टर बुतरू के न´ पढ़तइ
घुसखोरी चोरी झूठ सिखइतइ
खाली खइतइ अउ थरिया धोतइ
एकरा से जादे हद की होतइ।
राजा चोर, अफसर दलाल
तइयो जनता के न´ हो मलाल
जे जहाँ पावे ओहयँ गोतइ
एकरा से जादे हद की होतइ।
न´ अमन चइन न´ भाईचारा
जातपात जहाँ के होतइ नारा
लाचार कइसहूँ बोझा ढोतइ
एकरा से जादे हद की होतइ।
कइसन अइलो राज जनाना के
माउग डाँट रहल मरदाना के
मरद गोरधारी में सोतइ
एकरा से जादे हद की होतइ।
अस्सी नम्मर फेल बीस नम्बर पास
कइसन बदल गेलो हन इतिहास
नइया के बीच में डूबइतइ
एकरा से जादे हद की होतइ।
कइसन कइसन होवे मनमानी
बीच सड़क हो रहल छेड़खानी
जब बेटी खुलेआम लुट रोतइ
एकरा से जादे हद की होतइ।
जरावल जा रहलो हे बहू के
कइसन-कइसन रंग देखुँ लहू के
नेता एक्के लग्गी सबके जोतइ
एकरा से जादे हद की होतइ।