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एकली घेरी बन में आन स्याम / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
एकली घेरी बन में आन स्याम तेने या के ठानी रे
स्याम मोहे बिन्दराबन जानो लौट के बरसाने आनो
जे मोहे होवे अबेर लरैं देवरानी जेठानी रे
एकली घेरी बन...
दान दधि को देजा मेरो कंस के खसम लगे तेरो
मारूं कंस मिटाऊं बंस ना छोडूँ निसानी रे
एकली घेरी बन...
दान मैं कभी न दूँगी रे कंस ते जाय कहूंगी रे
आज तलक या ब्रज में कोई भयो न दानी रे
एकली घेरी बन...