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एकहीं रोपल गाछ दोसर जामुन गाछ रे ललना / मैथिली
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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एकहीं रोपल गाछ दोसर जामुन गाछ रे ललना सगर बगिया लाग्य सुन एक चानन बिनु रे
नहिरा में एक लाख भैया आओर लागु रे ललना सगरे नैहरवा लागे सुन एक हीं अम्मा बिनु रे
ससुरा में एक लाख ससुर आओर भैंसुर रे ललना सगर ससुरा लागे सुन एकहीं पिया बिनु रे
घरवा में पलंगा ओछावल तोसक ओछाओल रे ललना पलंगिया लागे सुन एकहीं होरिला बिनु रे।
यह गीत श्रीमती रीता मिश्र की डायरी से