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एकांत-2 / विनोद शर्मा
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शयनकक्ष में
नितांत अकेले नहीं हैं
एक दूसरे की देह में सुख तलाशते
पति-पत्नी भी
पति के मन में बसी प्रेमिका
और पत्नी के मन में बसा प्रेमी
वे दो व्यक्ति भी तो
मौजूद हैं वहां
उन दोनों के सिवा
दोनों में से हर एक सोचता है-
तीन तो ठीक हैं पर यह चौथा
और पूछता है खुद से-
यह चौथा व्यक्ति कौन है?
यही प्रश्न तो
उन दोनों के बीच पसरा हुआ मौन है।