एक-एक क्षण जिया गया है
अभी-अभी
डूबे सूरज की
दिनभर की
कुनमुनी झील को
सांस-सांस भर पिया गया है
एक-एक क्षण जिया गया है
अभी चुभे
अंधियारे विष से
सीत्कारती
आवाज़ों को
रात-रात भर सिया गया है
एक-एक क्षण जिया गया है
खोल मौन के
बंद किवाड़े
मन के इतने बड़े नगर में
कोलाहल भर लिया गया है
एक-एक क्षण जिया गया है