Last modified on 7 अगस्त 2010, at 01:20

एक-एक क्षण जिया गया है / हरीश भादानी

एक-एक क्षण जिया गया है
      अभी-अभी
      डूबे सूरज की
      दिनभर की
            कुनमुनी झील को
सांस-सांस भर पिया गया है
एक-एक क्षण जिया गया है

      अभी चुभे
      अंधियारे विष से
      सीत्कारती
            आवाज़ों को

रात-रात भर सिया गया है
एक-एक क्षण जिया गया है

      खोल मौन के
      बंद किवाड़े
      मन के इतने बड़े नगर में
कोलाहल भर लिया गया है
एक-एक क्षण जिया गया है