एक आँख नींद / महेश कुमार केशरी
बहुत सोचा की कौन
लोग सोते हैं एक आँख
नींद?
एक आँख नींद जीती है
कोई स्त्री की आँख
स्त्री की आँखें रात को
सोती नहीं वो, करती
रहती है,
भोर होने का इंतजार
स्त्री की आँखें
रात और भोर
होने के बीच
ही कहीं जीतीं हैं
वो, इसलिए भी भोर
होने से पहले चौंक-चौंक
जाती हैं,
और उठकर देखती है
घड़ी
कि कितनी घड़ी
और बची हुई है रात
कि कोई बरज
ना सके देर तक लगातार
सोते रहने के कारण
इसलिए स्त्री सोती है
रात और भोर होने के
बीच कहीं
या बहुत समय से परदेश
गया कोई आदमी
जिसकी माँ घर
में हो बीमार
या कोई बहन हो रही है
ताड़ जैसी लंबी
जिसको लेकर गाँव में
तरह-तरह की हो रही
हों, बातें.
या जिसके रेहन रखें हों
खेत
जिसको सालों पहले
छोड़कर वह आ गया हो शहर
या, वह किसान
जिसे देना हो अपने
खेतों को पानी
या काटनी हो फसल
कामकाजी, लोग
एक आँख ही सोते हैं
और निकल पड़ते हैं
जिम्मेवारियों और काम को
कँधे पर अंँगोछे
कि तरह टाँगे
उनींदी आँखें हमेशा
जगती हैं
दूसरों के सपनों को साकार
करने के लिए!