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एक आरोप / निदा नवाज़
Kavita Kosh से
(अपने ही अपहरण पर)
मेरी स्मृति में
इस मौसम के सभी
दृश्य हैं
वह दृश्य भी जब कल
मेरी जीभ काट दी गई
मेरे कानों में
पिधला सीसा डाला गया
मेरी उंगलियाँ
तराशी गईं
और यह कह कर छोड़ा गया
कि जा
हम तुम पर दया करते हैं
तुम्हें जीवित छोड़ कर
अब मैं अधिकतर सोचता हूँ
कि क्या मैं सचमुच जीवित हूँ
या यह केवल एक आरोप है
जिससे मेरा सब कुछ
मेरी स्मृति में बसा पूरा संसार
और उस संसार का
हर रूप, हर दृश्य
घायल होता जा रहा है
मेरे अतीत की भाँती.