भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक उम्मीद / विशाखा विधु
Kavita Kosh से
एक उम्मीद है
एक चाय पीऊँगी कभी
तुम्हारे साथ
आराम कुर्सी पे झूलते
काँपते हाथों से
पकडाना कोई मुलायम सा बिस्कुट
और ..
एक मुस्कान दोनो के होठों पे।