भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक और आसमान / भवानीप्रसाद मिश्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मछली
उछली

उजली चाँदनी ने
उस पर हाथ फेरा

चाँदनी से भी
उजले पानी का
पानी पर
एक घेरा बन गया

मन गया मानो
नीचे धरती पर भी एक आसमान