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एक और रमणी / राजेन्द्र किशोर पण्डा / संविद कुमार दास
Kavita Kosh से
ना यह नदी, ना वह नदी
एक और नदी है कहीं इसी गाँव में
जिसके किनारे
निर्जन हरापन सहेजे
एक कुंज है
ना यह किनारा, ना वह किनारा
एक और किनारा है इस नदी का
जहाँ स्थित कुंज में
जीवन्त लावण्य को सहेजे
रमणी है एक
ना यह कुंज, ना वह कुंज
एक और कुंज है इसी किनारे
जहाँ उस रमणी के पास
सहेजे हुए
नदी है एक,
नदी का एक किनारा है,
किनारे पर कुंज है,
और कुंज में...
ना यह रमणी ना वह रमणी
एक और रमणी मेरी
है, है, है !
मूल ओड़िया से अनुवाद : संविद कुमार दास