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एक और सिंड्रैला / शोभना 'श्याम'

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शहर में शाम
आती तो है
धूप की थिगलियाँ लगे
बदरंग से परिधान में
भिखारन सी ..
पर देखते ही देखते
बिजलियों से लकदक
शानदार पोशाक पहन
बन जाती है राजकुमारी
सिंड्रैला की तरह