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एक कमरा चाहिए खास राम की सूं / मेहर सिंह

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कर कै आया आस राम की सूं
एक कमरा चाहिए खास राम की सूं।टेक

मौसी नै कढ़वाया घर तै कुछ ना गलती मेरी थी
दुःख विपता ने घेर लिया तन की होगी ढेरी थी
अपना उल्लू सीधा करगी मौसी की अटफेरी थी
हो हो राम चले बनवास राम की सूं।

दरवाजे तै उल्टा फिरग्या होग्या राही राही रै
न्यूं सोची हो दुःख सुख मैं यारी अर असनाई रै
गया सुसर के पास उड़ै साली बैठी पाई रै
हो हो यो सुणा दिया इतिहास राम की सूं।

बीरमती पाछै चाली आगै आगै आप होया
एक सिंहनी एक शेर फेटग्या जन्म दर सन्ताप होया
सिंहनी भागी शेर मार दिया जब मेरा रस्ता साफ होया
हो हो आग्या सुख का सांस राम की सूं।

आशा कर कै आया सुं दुःख मेरे ने बाटे लिए
धनमाया की कमी नहीं चाहे ज्यादा चाहे घाट लिए
मेहर सिंह तेरा गुण भूलै ना इस कमरे में डाट लिए
हो हो रहूं चरण का दास राम की सूं।