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एक कविता पैदल चलने के लिए-1 / प्रभात

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आशा न हो तो कौन चले पैदल
आशा के लिए
आशा न हो तो कौन नदी पार करे
आशा के लिए
आशा न हो तो कौन घुसे जलते घर में
आशा के लिए