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एक कविता मेरी बनेगी / हरीश बी० शर्मा


द्वार दिल के भी खुलेंगे
दस्तक तो आने दो
देखकर तुम कहोगे
क्या खूब बनाया है
हम कहें- हां, इतंजार जीवन बिताया है।
इस दरख्त पर फल मीठा ही होगा
वक्त आने दो
शब्दों से महक आएगी मेरी वफाई की
हर कड़ी सरगम सजी
नगमे सुनाएगी
साधना के स्वर सजेंगे
वक्त आने दो
वक्त से शिकवा नहीं
लेकिन इंतजार
एक दिन तो आएगा
मेरा भी अपना यार
वक्त भी जब कह ना सकेगा, वक्त आने दो
एक कविता मेरी बनेगी
वक्त आने दो।