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एक क़दम / नरेन्द्र जैन
Kavita Kosh से
एक क़दम का
फ़ासला है
मैं चला
और यह रही दुनिया सामने
हो सकता है
मेरा एक क़दम
मीलों लम्बा
या उतना जितनी दूरी पर
जा उड़ बैठता है
नन्हा पक्षी
फ़ासला
सिर्फ़ एक क़दम है
मैं चला
और ये रही दुनिया
सामने