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एक किलो भर मीठे लड्डू / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
दादा छड़ी उठायेंगे अब,
शहर घूमने जाएंगे अब।
अपनी तेज चाल से चलकर,
लोगों को चौंकाएंगे अब।
तेज-तेज चलते-चलते ही,
होटल तक वे जाएंगे अब।
एक किलो भर मीठे लड्डू,
पैकिट में बँधवाएंगे अब।
उसी चाल से जल्दी जल्दी,
घर को वापस आएंगे अब।
अपने हाथों, गुड्डा-गुड़िया,
को लड्डू खिलवाएंगे अब।
दादी को भी हँसते हँसते,
लड्डू एक चखाएंगे अब।
बच्चों के मम्मी पापा भी,
हौले से मुस्कायेंगे अब।
हुर्रे-हुर्रे, बोल-बोल कर,
बच्चे शोर मचाएंगे अब।
मुस्कानों के ढेरों दीपक,
घर में सभी जलाएंगे अब।