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एक कैफ़े और अख़बार के साथ आप / महमूद दरवेश

एक कैफ़े और बैठे हुए आप अख़बार के साथ।
नहीं, अकेले नहीं हैं आप। आधा भरा हुआ कप है आपका,
और बाक़ी का आधा भरा हुआ है धूप से...
खिड़की से देख रहे हैं आप, जल्दबाज़ी में गुज़रते लोगों को,

लेकिन आप नहीं दिख रहे किसी को। (यह एक खासियत है
अदृश्य होने की : आप देख सकते हैं मगर देखे नहीं जा सकते।)

कितने आज़ाद हैं आप कैफ़े में, एक विस्मृत शख़्स !
कोई देखने वाला नहीं कि वायलिन कैसे असर करती है आप पर.
कोई नहीं ताकने वाला आपकी मौज़ूदगी या नामौज़ूदगी को,
या आपके कुहासे में नहीं कोई घूरने वाला जब आप
देखते हैं एक लड़की को और टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं उसके सामने।
 
कितने आज़ाद हैं आप, अपने काम से काम रखते, इस भीड़ में,
जब कोई नहीं है आपको देखने या ताड़ने वाला !
जो मन चाहे करो ख़ुद के साथ.
कमीज़ उतार फेंको या जूते।
अगर आप चाहें, आप भुलाए गए और आज़ाद हैं, अपने ख़यालों में.
आपके चेहरे या आपके नाम पर कोई ज़रूरी काम नहीं यहाँ।
आप जैसे हैं, वैसे हैं - न कोई दोस्त न दुश्मन
आपकी यादों को सुनने-गुनने के लिए।

दुआ करो उसके लिए जो छोड़ गया आपको इस कैफ़े में
क्यूँकि आपने गौर नहीं किया उसके नए केशविन्यास पर,
और उसकी कनपटी पर मंडराती तितलियों पर।
दुआ करो उस शख़्स के लिए
जो क़त्ल करना चाहता था आपको किसी रोज़, बेवज़ह,
या इसलिए क्यूँकि आप नहीं मरे उस दिन
जब एक सितारे से टकराए थे आप और लिखे थे
अपने शुरूआती गीत उसकी रोशनाई से।

एक कैफ़े और बैठे हुए आप अख़बार के साथ
कोने में, विस्मृत. कोई नहीं खलल डालने वाला
आपकी दिमागी शान्ति में और कोई नहीं चाहने वाला आपको क़त्ल करना।
कितने विस्मृत हैं आप,
कितने आज़ाद अपने खयालों में !

अंग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल