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एक गाँठ और / शिवबहादुर सिंह भदौरिया
Kavita Kosh से
सरपत सी मूछों
और
मशकनुमा छाती पर
आँख गड़ गई;
उलझे हुए धागे में
एक गाँठ
और पड़ गई।